Friday 21 December, 2007

पायरेसी से सॉफ्टवेयर कंपनियों को भारी चूना

नई दिल्ली : गैर - कानूनी तरीके से सॉफ्टवेयरों का इस्तेमाल दुनिया भर की सॉफ्टवेयर कंपनियों के लिए परेशानी का सबब बन गई है। कंपनियों के रेवेन्यू लॉस की यह प्रमुख वजह है। रिसर्च फर्म केपीएमजी की रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में इस्तेमाल किए जाने वाले 50 फीसदी सॉफ्टवेयर पायरेटेड होते हैं। इसकी प्रमुख वजह जागरूकता की कमी और इस बाबत बने कानून को ठीक ढंग से लागू नहीं किया जाना है।

सर्वे में शामिल 77 फीसदी एगिक्युटिव्स का मानना था कि इंस्टॉल किए जानेवाले 35 फीसदी सॉफ्टवेयर बगैर लाइसेंस वाले होते हैं। इस वजह से इंडस्ट्री को होने वाला अनुमानित नुकसान 34 अरब डॉलर है। 55 फीसदी एग्जिक्यूटिव्स के मुताबिक उनकी कंपनियों का रेवेन्यू लॉस कुल रेवेन्यू का 10 फीसदी से ज्यादा रहा। कुल मिलाकर 87 फीसदी इगेक्युटिव्स ने गैरलाइसेंसी सॉफ्टवेयर की वजह से रेवेन्यू लॉस होने का दावा किया। केपीएमजी के इस सर्वे में 50 कंपनियों के इगेक्युटिव्स को शामिल किया गया। इंडस्ट्री के कुल रेवेन्यू में इन कंपनियों की हिस्सा 50 फीसदी है। सर्वे में शामिल 94 फीसदी इगेक्युटिव्स का मानना था कि पायरेसी रोकने के लिए नियमों को कड़ा करने का कस्टमर्स पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा है।

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