नई दिल्ली-फल, सब्जियों और मसाले जैसी दैनिक इस्तेमाल की वस्तुओं के महँगा होने से सकल उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर 17 नवम्बर को समाप्त हुए सप्ताह में 0.20 प्रतिशत बढ़कर 3.21 प्रतिशत पर पहुँच गई।
रिजर्व बैंक ने हाल ही में बैंकिग क्षेत्र पर जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की रिकार्ड तोड़ कीमतों के बावजूद देश में पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी को ज्यादा दिन तक रोका नहीं जा सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी किए जाने पर इसका मुद्रास्फीति पर खासा असर पड़ेगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मिट्टी तेल, गैसोलीन और डीजल के दामों की समीक्षा के लिए इस माह एक समूह का गठन किया है। विश्व के बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में इस वर्ष 58 प्रतिशत का उछाल आने के बावजूद देश में पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
समीक्षागत सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति की दर में 0.20 प्रतिशत की बढ़त मुख्यत: बाजरा, ज्वार, समुन्द्र की मछली, फल-सब्जियों, मसाले, अरहर, सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, बिनौला तेल और रेसिन आदि के महँगा होने से दर्ज की गई। हालाँकि इस दौरान मक्का, उड़द, मूंग और कच्चा रेशम आदि के दामों में गिरावट रही।
पिछले साल आलोच्य अवधि में मुद्रास्फीति की दर 5.56 प्रतिशत और इस वर्ष जनवरी के अंत में ढाई वर्ष के उच्च स्तर 6.69 प्रतिशत पर रही थी।
रिजर्व बैंक ने हाल ही में बैंकिग क्षेत्र पर जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की रिकार्ड तोड़ कीमतों के बावजूद देश में पेट्रोलियम उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी को ज्यादा दिन तक रोका नहीं जा सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी किए जाने पर इसका मुद्रास्फीति पर खासा असर पड़ेगा।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मिट्टी तेल, गैसोलीन और डीजल के दामों की समीक्षा के लिए इस माह एक समूह का गठन किया है। विश्व के बाजारों में कच्चे तेल की कीमतों में इस वर्ष 58 प्रतिशत का उछाल आने के बावजूद देश में पेट्रोल डीजल के दामों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।
समीक्षागत सप्ताह के दौरान मुद्रास्फीति की दर में 0.20 प्रतिशत की बढ़त मुख्यत: बाजरा, ज्वार, समुन्द्र की मछली, फल-सब्जियों, मसाले, अरहर, सोयाबीन, सरसों, मूंगफली, बिनौला तेल और रेसिन आदि के महँगा होने से दर्ज की गई। हालाँकि इस दौरान मक्का, उड़द, मूंग और कच्चा रेशम आदि के दामों में गिरावट रही।
पिछले साल आलोच्य अवधि में मुद्रास्फीति की दर 5.56 प्रतिशत और इस वर्ष जनवरी के अंत में ढाई वर्ष के उच्च स्तर 6.69 प्रतिशत पर रही थी।
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