नई दिल्लीः इंडियन कॉरपोरेट जगत के लिए 2007 सौदों का साल रहा। कॉरपोरेट शख्सियतों ने इस दौरान अपने समय और ऊर्जा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा डील टेबल पर बिताया। इस साल हजारों लेनदेन हुए, जिनमें विभिन्न कंपनियों में इक्विटी की खरीद और बिक्री शामिल है।
रोजाना 3 डील
2007 में औसतन हर रोज करीब 3 सौदों का ऐलान हुआ। सौदों की संख्या कुल 1,047 रही। इसमें विलय और अधिग्रहण के अलावा कुछ प्राइवेट इक्विटी डील भी हुए। इन सौदों की कुल वैल्यू 408.32 अरब डॉलर यानी तकरीबन 2 लाख 75 हजार करोड़ रुपये है। इस साल कुल 661 विलय और अधिग्रहण के सौदे हुए। इसकी वैल्यू 51.17 अरब डॉलर है। इसके अलावा 386 प्राइवेट इक्विटी डील हुए, जिसकी वैल्यू 17.14 अरब डॉलर है। 2006 में ऐसे सौदों की संख्या 302 थी।
फॉरन शॉपिंग का जलवा
इस साल भारतीय कंपनियों की फॉरन शॉपिंग का जलवा रहा। इस अवधि में भारतीय कंपनियों द्वारा विदेशों में किए जानेवाले अधिग्रहण देश में किए जानेवाले अधिग्रहण और फॉरन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट (एफडीआई) पर भारी पड़े। इंडिया इंक ने विदेशी अधिग्रहण और विलय में 32 अरब डॉलर खर्च किए, जबकि भारत में अधिग्रहण में विदेशी फर्मों ने 15 अरब डॉलर खर्च किए। साथ ही इस दौरान फॉरन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट 16 अरब डॉलर होने का अनुमान है।
2007 में क्रॉस बॉर्डर डील्स की संख्या 348 रही, जबकि 313 घरेलू सौदे हुए। क्रॉस बॉर्डर डील्स के तहत 240 में भारतीय कंपनियों ने विदेशों में अधिग्रहण किया, जबकि 108 सौदों के तहत भारत में विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण किया गया।
बड़े प्लेयरों का दबदबा
एमएंडए (विलय और अधिग्रहण) फीवर का असर पूरी इंडियन इंडस्ट्री पर देखा गया। हालांकि वैल्यूएशन के मामले में इंडस्ट्री के कुछ बड़े प्लेयरों का दबदबा रहा। टाटा-कोरस डील, वोडाफोन द्वारा हच-एस्सार की खरीदारी और हिंडाल्को द्वारा नोवेलिस के अधिग्रहण की वैल्यू क्रॉस बॉर्डर सौदों का 60 फीसदी है। इनमें सबसे बड़ा सौदा टाटा-कोरस का रहा, जिसकी वैल्यू 12.2 अरब डॉलर है। वोडाफोन ने हच-एस्सार में हिस्सेदारी के लिए 10.83 अरब डॉलर की राशि अदा की, जबकि हिंडाल्को ने उत्तरी अमेरिका की ऐल्युमिनियम फर्म नोवेलिस के अधिग्रहण के 6 अरब डॉलर खर्च किए। अन्य बड़े विलय और अधिग्रहण सौदों में सुजलोन-आरईपावर, यूबी-वाइट एंड मैके आदि शामिल हैं।
आईटी सबसे आगे
सबसे ज्यादा सौदे आईटी और आईटी से जुड़ी सेवाओं में हुए। इनमें कुल 154 सौदे हुए। इसके बाद फार्मा सेक्टर रहा, जहां 62 सौदे हुए। इसके बाद क्रमश: बैंकिंग (58) और मीडिया व एंटरटेनमेंट (33) का स्थान रहा।
जारी रहेगा ट्रेंड
सौदों का यह सिलसिला 2008 में भी जारी रहने की उम्मीद है। कंसलटिंग फर्म ग्रांट एंड थॉर्नटन की एमएंडए (विलय और अधिग्रहण) ऐडवाइजरी के प्रमुख पंकज कर्ण कहते हैं कि अगले साल भी कई महत्वपूर्ण सौदे होंगे। यहां तक कि 2008 में यह आंकड़ा इस साल के आंकड़े को भी पार कर जाएगा। फर्म के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी हरीश एच. वी. ने कहा कि हालांकि कॉम्पिटिशन बिल इसमें बाधा खड़ी कर सकता है, क्योंकि इसके तहत सभी बड़े सौदों की जांच करने का प्रावधान है। हरीश कहते हैं कि इंडिया इंक पूरी दुनिया में कंपनियों को खरीद रही है। इसके अलावा ये कंपनियों अपने बूते ऐसा कर रही हैं, जबकि चीन में बड़ी डील में कंपनियों को सरकारी मदद मुहैया कराई जाती है।
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