नई दिल्ली : देश के शेयर बाजारों ने सोमवार को जबर्दस्त गोता लगाया। बाजार में गिरावट इतनी जबर्दस्त थी कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) के बैरोमीटर यानी सेंसेक्स को 769 अंक नीचे बंद होना पड़ा। यह सेंसेक्स की अब तक की दूसरी बड़ी गिरावट साबित हुई। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी भी 270 पॉइंट्स गिरकर बंद हुआ। सवाल यह है कि इस हालत में आम निवेशक को किस तरह का रास्ता अख्तियार करना चाहिए? नए निवेशक बाजार में एंट्री करें या नहीं? जो निवेशक मार्केट में पहले से हैं, उन्हें क्या करना चाहिए? जानकारों की मानें तो फिलहाल निवेशकों को सावधान रहने और होशियारी से चलने की जरूरत है।
खास तरीके से सोचें आम निवेशक
विदेशी निवेशकों ने ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए शेयरों को दनादन बेचना शुरू कर दिया है। एक्सर्पट्स की मानें तो विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) दिसंबर के बाकी दिनों में शेयरों को गिराकर जोरदार मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे। उनके सामने नेट ऐसेट वैल्यू (एनएवी) बढ़ाने की मजबूरी है। एनएवी का मतलब होता है धन का निवेश, मुनाफा और इसका इस्तेमाल करके ऐसेट यानी परिसम्पत्ति में इजाफा करना। एफआईआई के लिए फाइनैंशल ईयर दिसंबर महीने में खत्म होता है। वे इस महीने में ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करते हैं, ताकि उनका एनएवी बेहतर हो सके। एनएसई के सदस्य जगदीश मलकानी का मानना है कि इस बार जोरदार मुनाफावसूली हो सकती है। आम निवेशकों को इस महीने के बाकी दिनों में शेयर बेचते और मुख्य रूप से शेयर खरीदते वक्त ज्यादा होशियार रहना होगा। वरना उन्हें भारी घाटा हो सकता है।
घबराहट में न लें फैसला
बाजार में गिरावट के दौर में आम निवेशक घबराकर शेयरों को बेचने लगते हैं। यहीं वे मात खा जाते हैं। साहनी एंड साहनी ब्रोकरेज फर्म के प्रेजिडेंट प्रकाश साहनी ने बताया कि अगर विदेशी निवेशकों ने किसी कंपनी के शेयर को 100 रुपये से बढ़ाकर 200 रुपये कर दिया है, तो वे उसे 150 से 160 रुपये या इससे कम में भी बेच सकते हैं। आम निवेशकों के पास इसे बेचने और खरीदने के विकल्प होते हैं। दोनों हालात में निवेशकों को यह हिसाब लगाना पड़ेगा कि इन शेयरों का फेस वैल्यू यानी कंपनी द्वारा तय कीमत कितनी है और आने वाले दिनों में ये कितना बढ़ या घट सकते हैं। इन समीकरणों को देखते हुए शेयरों को खरीदना या बेचना होगा। आम निवेशक घबराहट में फैसला लेने से बचें।
नए निवेशकों के लिए मंत्र
जानकारों का कहना है कि यदि किसी कंपनी के शेयर की कीमत उसके अब तक के निचले लेवल पर है, तो नए निवेशक ऐसे शेयरों को खरीद सकते हैं। पर यदि हालात ऐसे नहीं हैं, तो नए निवेशकों की भलाई फिलहाल मार्केट से दूर रहने में ही है।
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