Saturday 15 December, 2007

डाकघर योजनाओं के ब्याज को कर मुक्ति के बगैर रियायत का अर्थ नहीं

मुंबई. सरकार ने डाकघर योजनाओं में पांच साल की सावधि जमा और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (एससीएसएस) में निवेश पर सेक्शन 80 सी की आयकर छूट उपलब्ध कराई है। जानकारों का ख्याल है कि ब्याज कोई पूंजी नहीं है, इसलिए इन योजनाओं के ब्याज को करमुक्त किया जाना चाहिए।

देखते हैं आपको क्या फायदा मिला:
1. पोस्ट आफिस की सावधि जमा योजनाओं (टर्म डिपोजिट) पर सालाना 7.5 फीसदी रिटर्न मिलता है, वहीं एससीएसएस पर 9 फीसदी।
2. अगर आप टैक्स की गणना करें और मुद्रास्फीति को जोड़ दें तो आपको कोई आमदनी नहीं मिलेगी।
3. डाक घर योजनाओं में बड़े निवेशक (एचएनआई) धन नहीं लगाते, बल्कि छोटे निवेशक व सेवानिवृत्त लोग धन लगाते हैं।
4. पहले टैक्स ब्रेक नहीं था, अब अगर टैक्स ब्रेक उपलब्ध कराया ही था तो ब्याज को करमुक्त करने से निवेशकों को कुछ आय होती।

क्या किया सरकार ने:
1. डाकघर सावधि जमाओं और सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम को भी आयकर की सेक्शन 80सी के तहत एक लाख रुपए तक निवेश की छूट दे दी। यह छूट 1 अप्रैल 2007 से उपलब्ध होगी।
2. डाकघर मासिक आय योजना (पीओएमआईएस) पर बोनस फिर से दिया जाएगा। उन सभी पीओएमआईएस खातों पर लागू होगा, जो 8 दिसंबर 2007 से खुलेंगे। 13 फरवरी 2006 को 10 फीसदी बोनस रोक दिया गया था।

क्या फर्क पड़ेगा: बैंक डिपोजिट पर 80 सी की छूटें हासिल हैं। बदलाव के बाद डाकघर और बैंक योजनाओं को समान आधार उपलब्ध कराने का प्रयास है, लेकिन जब तक निवेशकों को ब्याज पर कर मुक्ति नहीं मिलती, तब तक उन्हें कोई फायदा नहीं होगा।

एक लाख की लिमिट: 80 सी में पहले ही आवास ऋण, भविष्यनिधि, ट्यूशन फीस, पीपीएफ, एनएससी, यूलिप, जीवन बीमा प्रीमियम, पेंशन प्लान, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम और बैंक एफडी शामिल हैं। अगर सरकार डाकघर योजनाओं के ब्याज को कर मुक्त नहीं करना चाहती तो उसे एक लाख रुपए की लिमिट बढ़ानी होगी।

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