विश्व बैंक का दावा है कि दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन असल में उतनी बड़ी नहीं है, जितना उसे आँक लिया गया था।
बैंक का कहना है कि चीन के बारे में उसका एक आकलन सही नहीं था और चीन उस अनुमान से छोटी आर्थिक ताक़त है।
बैंक ने माना है कि पहले के आकलन में चीनी अर्थव्यवस्था के आकार को 40 फ़ीसदी ज़्यादा आँका गया था।
नया नतीजा तब सामने आया है जब चीन के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आकलन बैंक ने नए तरीके से किया है।
बैंक का कहना है कि इन निष्कर्षों का मतबल यह है कि अब पूर्वानुमान के मुताबिक़ चीन 2012 में दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा।
बैंक का मानना है कि चीन पहले के आकलन से भी ज़्यादा ग़रीब है।
विश्व बैंक का कहना है कि ताज़ा आकलन का असर भविष्य में मिलने वाली मदद और निवेश योजनाओं पर दिखेगा।
चीन को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से अतिरिक्त सहायता मिलती है।विकासशील देश के दर्जे के कारण चीन ने जलवायु परिवर्तन पर चल रही वार्ता में मदद भी माँगी थी।
आँकड़ों में सुधार
बैंक के ताज़ा शोध के आधार पर चीन की अर्थव्यवस्था अब 53।30 खरब अमरीकी डॉलर रह गई है।
चीन में साईकिल मरम्मत की दुकान
नए आकलन के मुताबिक़ 2012 तक चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था नहीं बन पाएगा
हालाँकि आकार में कमी के बावजूद चीन दुनिया की दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बना रहेगा।
अमरीका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। उसकी अर्थव्यवस्था का आकार 120 खरब अमरीकी डॉलर है। आकलन में "क्रय शक्ति क्षमता" पद्धति का उपयोग किया गया। साथ ही एक ही सामान की क़ीमतों के अंतर में सुधार किया गया जो पश्चिमी देशों की तुलना में चीन में कम हैं।
आँकड़ें बताते हैं कि चीन में प्रति व्यक्ति औसत आय अमरीकी औसत की महज़ दस फ़ीसदी है।
चीन में औसत आय 4,091 अमरीकी डॉलर है जबकि अमरीका में यह 41 हज़ार अमरीकी डॉलर है।
मौजूदा विनिमय दर के लिहाज़ से चीन की अर्थव्यवस्था मात्र 22।40 खरब अमरीकी डॉलर की रह जाती है।
इससे पहले अर्थशास्त्री विकासशील देशों की स्थानीय क़ीमतों को ध्यान में रखकर अपने आँकड़ों को दुरुस्त करते थे।क्योंकि अक्सर ये क़ीमतें औद्योगिक देशों से बहुत ज़्यादा कम होती थीं।
हालाँकि बैंक का कहना है कि जिन क़ीमतों के आधार पर पहले जीडीपी का आकलन किया जाता था, उनमें काफ़ी बदलाव आ चुका है।
उन क़ीमतों को ध्यान में रखने से जीडीपी की सही तस्वीर सामने नहीं आती।
बैंक ने कहा है कि उसने इस बार के आकलन में ज़्यादा सही तस्वीर पाने के लिए अद्यतन क़ीमतों का इस्तेमाल किया है।
वैश्विक परिदृश्य
विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में पाया है कि अमरीका, चीन, जापान, जर्मनी और भारत की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधा है।
लेकिन ये देश दुनिया की पाँच महँगी जगहों में शुमार नहीं हैं।
आईसलैंड, डेनमार्क, स्विट्ज़रलैंड, नार्वे और आयरलैंड को दुनिया का सबसे महँगा देश माना गया है।
अफ़्रीका में दक्षिण अफ़्रीका, मिस्र, नाईज़ीरिया, मोरक्को और सूडान को विकास का मूल वाहक माना गया है। महाद्वीप के कुल उत्पादन में इन देशों की लगभग दो तिहाई हिस्सेदारी है।
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