इंश्योरेंस के प्रति भले ही लोग अब पहले से ज्यादा जागरूक हो रहे हैं, लेकिन पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस कवर को लेकर लोग अब भी उतने गंभीर नहीं दिखाई देते। वे या तो पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर लेते ही नहीं और अगर लेते भी हैं, तो उसे लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़कर लेते हैं, लेकिन यह सही तरीका नहीं है। आइए इस मामले में आपको विस्तार से बताते हैं:
मधु टी.
' शराब पीकर ड्राइविंग न करें' यह वाक्य आपने कई जगहों पर लिखा देखा होगा, लेकिन रिपोर्ट बताती है कि इसके बावजूद दिनोंदिन शराब पीकर या तेज ड्राइविंग करने से होने वाले ऐक्सिडेंट्स की संख्या बढ़ती ही जा रही है। इसका महत्वपूर्ण कारण सड़कों पर रोजाना काफी तेजी से बढ़ रहे वीइकल्स भी हैं। इस तरह के ऐक्सिडेंट से जहां एक ओर व्यक्ति को शारीरिक कष्ट होता है, वहीं दूसरी ओर हॉस्पिटल का खर्चा अच्छे-अच्छों की कमर तोड़ देता है। एक्सिडेंट में घायल आदमी भले ही अपने खर्चे खुद कर ले, लेकिन उसका क्या होगा जो परमानेंट डिसेबल हो गया है या फिर जिसे लंबे वक्त तक ट्रीटमेंट कराना है। ज्यादातर लोग इस तरह की कंडिशन के लिए तैयार नहीं होते। ऐसे में अगर आपके पास पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस कवर है, तो यह आपका दर्द कम करने में हेल्प कर सकता है।
न्यू इंडिया इंश्योरेंस कंपनी के एजेंट विनोद कहते हैं, 'हालांकि पब्लिक सेक्टर की इंश्योरेंस कंपनियां पिछले काफी वक्त से पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर दे रही हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इसकी जरूरत ही महसूस नहीं करते। उनका मानना है कि पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर लेना रुपये की बर्बादी है। ज्यादातर लोग ऐक्सिडेंट कवर को लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी में जोड़कर लेना पसंद करते हैं। यहां सबसे बड़ा कन्फयूजन 'डेथ' शब्द को लेकर होता है, जिसे ज्यादातर लोग इग्नोर कर देते है। लाइफ इंश्योरेंस के साथ ऐक्सिडेंट कवर लेने वालों को ऐक्सट्रा प्रीमियम देने के बाद भी कोई फायदा नहीं मिल पाता, क्योंकि इसके तहत फायदा तब ही मिलता है, जब ऐक्सिडेंट के दौरान व्यक्ति की डेथ हो जाएगी। मतलब कि ऐक्सिडेंट होने पर अगर व्यक्ति जिंदा हैं, तो उसके इलाज पर होने वाला कोई भी खर्चा इंश्योरेंस कंपनी नहीं उठाएगी।'
और बात अगर पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर की करें, तो यह न केवल डेथ को कवर करता है, बल्कि सभी तरह के ऐक्सिडेंट और डिसेबिलिटी को भी कवर करता है। इसके अलावा पर्सनल ऐक्सिडेंट कवर होल्डर को डिसेबिलिटी के दौरान भी मुआवजा मिलता है।
पर्सनल इंश्योरेंस कवर के बारे में एक इंश्योरेंस अडवाइजर का मानना है, 'यह वास्तव में एक अच्छी पॉलिसी है, जो जरूरत के वक्त आपका पूरा साथ देती है। साथ ही इसका प्रीमियम भी काफी कम है। इस पॉलिसी के तहत प्रीमियम तय करने के लिए लोगों को तीन ग्रुप्स में बांटा गया है। आपका प्रीमियम इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस ग्रुप में आते हैं। जैसे कि अगर आप डॉक्टर या इंजीनियर हैं, तो आप लो प्रीमियम वाले ग्रुप में आते हैं। अगर आप हाई रिस्क वाली जॉब, जैसे कि माइन या बिजली का सामान फिटिंग करने वाली कंपनी में काम करते हैं, तो आप हाई प्रीमियम वाले ग्रुप में आते हैं।'
कुछ ऐसे फील्ड भी हैं, जो पर्सनल एक्सिडेंट पॉलिसी में कवर नहीं होते। जैसे कि आर्म्ड फोर्सेज की सर्विस के दौरान हुई डेथ, ऐक्सिडेंट या किसी भी तरह की चोट को कवर नहीं किया जाएगा। न्यूक्लियर रेडिएशन के दौरान होने वाले नुकसान को भी इस पॉलिसी के अन्तर्गत कवर नहीं किया जाता। अगर कोई इंटरनैशनल प्रॉब्लम है, तो उसके लिए किसी अकेले आदमी को मुआवजा नहीं दिया जाएगा।
इसके अलावा, महत्वपूर्ण पॉइंट यह है कि परमानेंट डिसेबिलिटी के दौरान आपको कितना मुआवजा मिलेगा? इस पॉलिसी के अन्तर्गत कोई मेजर डिसेबिलिटी हो जाने पर आप ज्यादा से ज्यादा पॉलिसी की कुल अमाउंट का 75 परसेंट क्लेम कर सकते हैं। जैसे कि दोनों कानों के सुनने की क्षमता चली जाने पर 75 परसेंट क्लेम किया जा सकता है, जबकि हाथ की उंगली कट जाने पर 1 से लेकर 6 परसेंट तक क्लेम कर सकते हैं। आपको मिलने वाले बेनिफिट का परसेंट कंपनी के डॉक्टरों के एक पैनल द्वारा तय किया जाएगा। अपनी तरह के स्पेशल फीचर और अफॉर्डेबल होने की वजह से यह प्लान हर किसी के लिए सूटेबल है। यह जरूरी नहीं कि व्यक्ति इस प्लान के सारे बेनिफिट लें। इस पॉलिसी के प्लान कई भागों में बंटे होने की वजह से आप अपनी मर्जी का प्लान ले सकते हैं। जैसे आप एक से लेकर चार में से कोई भी प्लान ले सकते हैं। इश्योरेंस अडवाइजर के मुताबिक, 'आपको कम से कम एक से लेकर चार तक सारे प्लान लेने चाहिए, जबकि बाकी बेनिफिट आप अपनी जेब को देखते हुए ले सकते हैं।'
पर्सनल ऐक्सिडेंट इंश्योरेंस बेनिफिट (एक लाख रुपए के अश्योर्ड अमाउंट के लिए)
डेथ : 1 लाख
दो जोड़, दोनों आंख या एक जोड़ और एक आंख का नुकसान : 1 लाख
एक जोड़ या एक आंख का नुकसान : 50,000
ऊपर दी गई इंजरी को छोड़कर परमानेंट डिसेबिलिटी : 1 लाख
परमानेंट पार्शल डिसेबिलिटी : डिसेबिलिटी के परसेंट पर निर्भर
पूरी तरह डिसेबल 100 हफ्तों तक : 1000 रुपये हफ्ता
अडिशनल बेनिफिट : डेथ होने पर ट्रांसपोर्ट की फैसिलिटी, डिपेंडेंट चाइल्ड को एजुकेशन ग्रांट
No comments:
Post a Comment