Tuesday, 11 December 2007

लंदन से सीपी तक प्रॉपर्टी में बस आपकी मनॉपली

पहले जहां प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करने के लिए आपके पास लाखों-करोड़ों रुपए होना आवश्यक था वहीं अब प्रॉपर्टी में इन्वेस्टमेंट आप 'रीयल इस्टेट म्यूच्युअल' फंड की मार्फत कुछ हजार रुपए से में कर सकते हैं। आइए जानते हैं मार्केट के हॉट रीयल्टी फंड के बारे में।

रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड रीयल एस्टेट में इन्वेस्ट करते हैं ताकि इन्वेस्टर्स को इस असेट क्लास का बेनिफिट मिल सके। अगर अंडरलाइंग असेट की बात करें तो यह उस टर्म में दूसरे फंड से काफी अलग है।

रीयल इस्टेट फंड कई तरह के हो सकते हैं लेकिन उनका लक्ष्य एक ही होता है। सभी रीयल इस्टेट फंड रीयल इस्टेट वेंचर में इन्वेस्ट करते हैं। इनमें वे कंपनियां हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड होती है, फंड जो कि स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड हो या डेवेलपर्स में डायरेक्टली इन्वेस्ट किया जाता है। इसके अलावा ये बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए एसपीवी में भी इनवेस्ट करते हैं।

भारत में इस फंड की शुरूआत आईएल एंड एफएस माइलस्टोन फंड के लॉन्च होने के साथ हुई। इस फंड को इन्वेस्टर्स ने हाथों-हाथ लिया। लेकिन इसका मिनिमम इन्वेस्टमेंट दस लाख रुपए होने के कारण यह छोटे निवेशकों की पहुंच से दूर रहा। फंड के बारे में माइलस्टोन के मैनेजिंग डायरेक्टर वेदप्रकाश आर्य कहते हैं, 'देश के आर्थिक विकास में रीयल इस्टेट सेक्टर की मुख्य भूमिका है और यही कारण है कि नया कॉन्सेप्ट होने के बावजूद हमें अच्छा रेस्पॉन्स मिला। हम छोटे निवेशकों को बहुत जल्द ही इस सेक्टर का फायदा दिलाने के लिए कुछ नया करेंगे।'

गौरतलब है कि जेपी मॉरगन द्वारा पिछले दिनों पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार इंडिया का रीयल इस्टेट सेक्टर ग्रोथ के लिए सबसे उचित अवसर मुहैया करवा रहा है। इस सेक्टर की ग्रोथ के फंडामेंटल ड्राइवर्स अपनी समुचित जगह पर हैं।

जेपी मॉरगन एशिया पेसिफिक इक्विटी रिसर्च ग्रुप ने रिपोर्ट में कहा है कि 2,02,100 करोड़ रुपए की यह इंडस्ट्री सालाना 9 परसेंट की दर से बढ़ेगी और यह आंकड़ा 2011 तक 3,63,980 करोड़ रुपए तक पहुंच जाएगा।

इंडिया आरईआईटी के रमेश जोगानी का कहना है कि रीयल इस्टेट सेक्टर में बढ़ रही डिमांड के लिए अतिरिक्त फंडिंग की जरूरत है और रीयल इस्टेट में प्राइवेट इक्विटी इनवेस्टमेंट 2010 तक 7 बिलियन डॉलर के आंकड़े को छू लेगा।

इंडियन इन्वेस्टर्स के लिए इस फंड की अहमियत बताते हुए बीएनपी परिबस म्यूच्युअल फंड के एमडी टीपी रमन कहते हैं, 'ग्रोइंग इकोनॉमी में इनवेस्टमेंट के डायवर्सिफिकेशन के लिए रीयल इस्टेट फंड एक अच्छा विकल्प है। चूंकि यह ग्रोइंग सेक्टर है इसलिए पोटेंशल रिटर्न भी देगा। जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, पावर व अन्य ग्रोइंग थीम में इन्वेस्टर्स ने पाया।

आईएनजी ग्लोबल रीयल इस्टेट फंड के चीफ एग्जिक्यूटिव ऑफिसर विनीत के. वोरा बताते हैं कि चूंकि ये फंड आईजीआरईएसएफ में इन्वेस्ट करेगा और यह 4 बिलियन डॉलर का यूएस फंड है जो दुनियाभर में तीन एवेन्यू में इनवेस्ट करता है, इसलिए यदि निवेशक का पैसा 100 सिक्युरिटीज में है तो समझिए कि हर सिक्युरिटी में 30-50 प्रॉपर्टी हैं। मतलब हर इन्वेस्टर का 3000 प्रॉपर्टीज में असेस होगा।

एक्सपोजर के बारे में पूछने पर आईसीआईसीआई रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड के देवेन संधोई कहते हैं, 'रीयल इस्टेट ग्रोथ स्टोरी है। हाउसिंग डिमांड बढ़ रही जबकि सप्लाई काफी कम है। बढ़ती आय व रेंटल आधारित ईएमआई के कारण लोग किराए पर घर लेने की बजाए खरीदना पसंद कर रहे हैं। यही सब बातें 3 से 5 साल तक इस सेक्टर की डिमांड को गर्म रखेंगी।'

अगर आप रीयल इस्टेट में इनवेस्ट करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको लाखों रुपए की जरूरत होती है। यदि इनवेस्ट करने के लिए लाखों रुपए हैं तो भी हो सकता है आपको अनक्लियर लैंड टाइटल्स से दो-चार होना पड़े और इसके साथ इन्वेस्टमेंट की बोझिल प्रक्रिया और स्टैंप ड्यूटी तो है ही।

लेकिन अब रीयल इस्टेट म्यूच्युअल फंड आपको प्रॉपर्टी से जुड़ी इन आम समस्याओं से मुक्ति दिला सकता है। मतलब अब नरीमन पॉइंट से लगाकर विदेश में आप इस फंड की मार्फत प्रॉपर्टी में कहीं भी इन्वेस्ट कर सकते हैं।

कहां है रिस्क

यदि इंटरेस्ट रेट बढ़ता है तो रीयल इस्टेट की डिमांड में गिरावट आ सकती है।

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