नई दिल्ली : देश के शेयर बाजारों में तेजी का सिलसिला इस हफ्ते भी बने रहने की संभावना है। बाजार विश्लेषक शेयर बाजारों की तेजी को लेकर पूरे आशावान लग रहे हैं। उनका मानना है कि बाजार के मौजूदा हालात को देखकर गिरावट की संभावनाएं धूमिल नजर आ रही हैं।
पिछले हफ्ते बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का सेंसेक्स अपने डेढ़ सौ साल के इतिहास में रेकॉर्डतोड़ 1683.19 पॉइंट्स यानी 9.49 परसेंट की बढ़त हासिल कर 19243.17 पॉइंट्स के नए शिखर पर पहुंच गया। नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 487 पॉइंट्स यानी 9.33 परसेंट की बढ़त से 5702.30 पॉइंट्स के अभी तक के रेकॉर्ड स्तर पर बंद हुआ।
दिल्ली शेयर बाजार के पूर्व अध्यक्ष और ग्लोब कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड के प्रमुख अशोक अग्रवाल का मानना है कि इस हफ्ते मजबूती को लेकर शंका करने की गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। सेबी ने पार्टिसिपेटरी नोट्स (पी-नोट्स) को लेकर जो कदम उठाए हैं, उनका असर बाजार झेल चुका है। सेबी के कदमों से सिर्फ इतना फर्क पड़ सकता है कि देश के शेयर बाजारों में आने वाले विदेशी धन की गति शायद कुछ धीमी पड़ जाए। लेकिन ऐसा कुछ नहीं है कि इन उपायों से विदेशी धन आना ही रुक जाए।
इंटरनैशनल मार्केट में कच्चे तेल की रेकॉर्डतोड़ कीमतों के देश पर पड़ने वाले असर के बारे में अग्रवाल का कहना है कि सरकार डीजल और पेट्रोल के दामों को बढ़ाने के लिए पहले ही मना कर चुकी है। लिहाजा विश्व बाजार में कीमतों में बढ़ोतरी का असर यहां नहीं पड़ेगा।
उनके मुताबिक एनर्जी, स्टील और इंफ्रास्ट्रक्चर की कंपनियों में निवेश की अच्छी संभावनाएं हैं। लेकिन इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी कंपनियों को लेकर वह आशान्वित नहीं हैं। अग्रवाल का कहना है कि अमेरिकी इकॉनमी की मंदी और रुपये की मजबूती आईटी कंपनियों के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
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