Saturday 27 October, 2007

सेबी ने किए एक तीर से दो शिकार

नई दिल्ली : पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) पर सेबी ने जो 'गुगली' फेंकी है, उसका जवाब फिलहाल फॉरेन इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर (एफआईआई) के पास नहीं है। सेबी ने स्पॉट कारोबार में पीएन को जारी रखकर साफ कर दिया कि उसकी मंशा विदेशी इनवेस्टमेंट को रोकने की नहीं है। डेरिवेटिव कारोबार में पीएन पर रोक लगाकर उसने शेयर बाजार में काला धन आने का रास्ता बंद कर दिया। सेबी के इस चाल पर एफआईआई पसोपेश में हैं। इसलिए उन्होंने शुक्रवार को शेयरों में तेजी बनाए रखी और सेंसेक्स नई ऊंचाइयां छूने में कामयाब रहा। एफआईआई के इस पॉजिटिव रूप को देखते हुए सरकार भी सकते में आ गई। वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को नॉर्थ ब्लॉक के कार्यालय से बाहर आकर कहना पड़ा कि सेबी के निर्णय का शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पडे़गा, इस बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।

डेरिवेटिव कारोबार

शेयर बाजार में 2 तरह के कारोबार होते हैं। वायदा कारोबार और नकद कारोबार। वायदा कारोबार को ही डेरिवेटिव कारोबार कहा जाता है। वायदा कारोबार भविष्य का कारोबार कहलाता है। शेयरों का सौदा वर्तमान मूल्य होता है पर इसकी डिलिवरी 90 दिनों बाद की जाती है। शेयर खरीदने वाला तय मूल्य का 10 से 15 फीसदी मार्जिन मनी देकर सौदा कर लेता है। बाकी राशि तय समय पर दी जाती है। सेबी की जांच रिपोर्ट के अनुसार पीएन के जरिए सबसे अधिक निवेश वायदा कारोबार में हो रहा था। इसका कोई हिसाब-किताब सेबी के पास नहीं है।

स्पॉट कारोबार

इसे नकद कारोबार भी कहते है। शेयर खरीदने पर तुरंत राशि का भुगतान करना होता है। तय नियम के अनुसार एफआईआई अपने कुल नेटवर्थ का 40 फीसदी निवेश पीएन के जरिए स्पॉट कारोबार में कर सकते हैं। स्पॉट कारोबार का ब्यौरा सेबी को आसानी से मिल जाता है। यही कारण है कि सेबी ने इसमें पीएन के जरिए निवेश को जारी रखा है।

ब्लैक या वाइट

सेबी के अध्यक्ष एम. दामोदरन का कहना है कि शेयर बाजार में ब्लैक मनी नहीं आ रहा है। सरकार शेयर बाजार में मनी फ्लो नियंत्रित करना चाहती है। विशेषज्ञों का मानना है कि डेरिवेटिव कारोबार में पीएन पर रोक सीधे तौर पर ब्लैक मनी पर रोक है। एसबीआई म्यूचुअल फंड के प्रमुख संजय सिन्हा का कहना है कि काले धन की परिभाषा है, वह रकम जिसके बेस की जानकारी न हो। डेरिवेटिव कारोबार में पीएन के जरिए ही बेनामी पैसा आ रहा था। सेबी ने उसी पर लगाम कसी है।

एफआईआई खुश या नाखुश!

बाजार विशेषज्ञों की मानें तो एफआईआई इससे नाखुश होंगे। सेबी के निर्णय को लेकर रणनीति बना रहे हैं। वैल्यू रिसर्च के प्रमुख धीरेंद्र कुमार का कहना है कि शेयर कारोबार के आंकड़ों के अनुसार एफआईआई ने पिछले कुछ माह में करीब 4 खरब डॉलर का कारोबार किया। इसमें 50 फीसदी से ज्यादा डेरिवेटिव में पीएन के जरिए किया गया, सेबी ने उस पर रोक लगा दी है। इससे उनको झटका तो लगेगा। यह नाखुशी देर-सवेर खुलकर सामने आ सकता।

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