Friday 26 October, 2007

पी नोट पर अंकुश से थम सकती है रुपए की मजबूती

भारतीय शेयर बाजारों में अज्ञात विदेशी कोषों के प्रवाह पर अंकुश लगाने से रुपए की तेजी से बढ़ रही मजबूती पर अंकुश लग सकता है, हालाँकि इस कदम का यह मुख्य उद्देश्य नहीं है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहाँ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की वार्षिक बैठक से पहले दिए गए एक साक्षात्कार में यह बात कही।

चिदंबरम ने कहा कि भारत सरकार उपयुक्त विनिमय दर चाहती है और रुपए के बहुत तेजी से चढ़ने पर वह निर्यातकों को मदद देगी। वित्त मंत्री ने कहा कि भारत एक ऐसी स्थिति में पहुँच गया है, जहाँ विदेशों से धन का आगमन होता जा रहा है क्योंकि पश्चिमी देशों के केंद्रीय बैंकों ने बाजार को सस्ती नगदी से पाट दिया है।

अब भारत सरकार उन कोषों से स्वयं को बचा रही है, जिनके संबंध में उसे कोई जानकारी नहीं है। इसीलिए बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) पर अंकुश लगाने का प्रस्ताव दिया है। सेबी का कहना है कि पीएन विदेशी निवेशकों को भारतीय संस्थाओं में पंजीकृत हुए बगैर पिछले दरवाजे से बाजार में घुसने का अवसर प्रदान करता है।

यह पूछे जाने पर कि क्या इस उपाय से रुपए की मजबूती थमेगी, चिदंबरम ने कहा कि संयोगवश ऐसा हो सकता है लेकिन इस उपाय का यह मुख्य लक्ष्य नहीं है। रुपया इसी माह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले नौ साल के उच्चतम स्तर पर पहुँच गया था। उन्होंने कहा कि सरकार रुपए की मजबूती से उतनी चिंतित नहीं है जितनी कि उसके तेजी से मजबूत होने से। हालाँकि चिदंबरम ने कहा कि वह पीएन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं हैं। सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे कम्युनिस्ट दल पीएन को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की माँग कर रहे हैं। सेबी को इस संबंध में 25 अक्टूबर को निर्णय लेना है।

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