नई दिल्ली. गेहूं का समर्थन मूल्य (एमएसपी) अब एक हजार रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। अब तक 750 रुपए प्रति क्विंटल के भाव पर 100 रुपए बोनस है। नए मूल्य से जहां किसानों को डेढ़ सौ रुपए प्रति क्विंटल की मूल्यवृद्धि का लाभ मिलेगा, वहीं खुले बाजार में कीमतें बढ़ने की संभावना है।
नया मूल्य रबी फसल में खरीदी के लिए तय किया गया है। सरकार इस बीच गेहूं का नया आयात सौदा करने के मूड में नहीं है। गेहूं के अलावा मसूर, जौ, चना, सरसों व रेपसीड के समर्थन मूल्य बढ़ाने का फैसला आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी की बैठक में किया गया है। धान का संग्रहण बढ़ाने के लिए भी 50-100 रुपए का अतिरिक्त बोनस दिया गया है। यह मौजूदा 645 रुपए और 675 रुपए प्रति क्विंटल के अलावा दिया जाएगा। बैठक के बाद वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने बताया कि पिछले वर्ष गेहूं का एमएसपी 750 रुपए प्रति क्विंटल था और उस पर 100 रुपए बोनस था।
आयात क्यों नहीं:
खाद्य मंत्रालय के एक अधिकारी का कहना है कि सरकार कीमतों पर नजर रख रही है। एसटीसी ने इस साल 13 लाख टन गेहूं आयात के सौदे किए हैं। गेहूं का मौजूदा स्टाक पर्याप्त है और त्योहारी मौसम में राज्यों में गेहूं की मांग बढ़ सकती है।
एक अधिकारी के अनुसार सरकार आटे का आयात नहीं करेगी, लेकिन आयात शुल्क को 30 फीसदी से घटा सकती है। अगर घरेलू फ्लोर मिलर कीमतें बढ़ा देते हैं तो आयात का विकल्प भी अपनाया जा सकता है। एसटीसी ने 5.11 लाख टन गेहूं आयात का सौदा 325.59 डॉलर प्रति टन के भाव पर किया है। वहीं 7.95 लाख टन गेहूं आयात के सौदे 389.45 डॉलर के भाव पर किए गए हैं। पहला टेंडर ऊंची कीमतों का हवाला देकर निरस्त कर दिया गया था।
समर्थन मूल्य
जिंस- पुराना (रु.)- नया
गेहूं- 750 - 1000
(100 रु बोनस)
धान- 645 व 675
(50-100 बोनस)
चना- 1145- 1600
जौ- 565- 650
मसूर- 1545- 1700
रेपसीड सरसों- 1715- 1800
सैफ्लावर- 1565- 1650
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