Wednesday, 17 October 2007

सुधार जारी रहे तो 10 फीसदी आर्थिक विकास दर भी संभव

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भले ही 11वीं योजना के दौरान नौ फीसदी आर्थिक विकास दर का लक्ष्य रखा हो, लेकिन अगर आर्थिक सुधारों की गति को थोड़ा तेज कर दिया जाए तो यह दर आसानी से 10 फीसदी या इससे भी ज्यादा हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रमुख आर्थिक सलाहकार एजेंसी व निवेश बैंकर लेहमन ब्रदर्स का कहना है कि श्रम, बिजली, शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्रों में व्यापक सुधार कर और निजीकरण को बढ़ावा देकर भारत की आर्थिक विकास दर को अगले एक दशक में दहाई अंकों तक पहुंचाने के साथ-साथ उसे बरकरार भी रखा जा सकता है।
लेहमन ब्रदर्स ने मंगलवार को भारतीय अर्थव्यवस्था पर पहली बार एक व्यापक रिपोर्ट जारी की। इस रिपोर्ट को ग्लोबल स्तर पर काफी सम्मान की नजरों से देखा जाता है। रिपोर्ट में हाल के महीनों में भारत की आर्थिक प्रगति की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है। एजेंसी ने इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त पाया कि भारत का आर्थिक ढांचा बेहद बदलाव की स्थिति से गुजर रहा है। बात चाहे औद्योगिक क्षेत्र की हो या सेवा क्षेत्र की, कर वसूली अथवा बेहतर जीवन स्तर की, हर कहीं बदलाव दिखाई दे रहा है। इसमें यह भी कहा गया है कि जिस तरह चीन और दक्षिण कोरिया की अर्थंव्यवस्थाओं ने कुछ दशक पहले अहम परिवर्तन दर्शाए थे, ठीक उसी तरह के बदलाव भारतीय अर्थव्यवस्था में अब साफ परिलक्षित हो रहे हैं। भारत में जीडीपी और निवेश का अनुपात मौजूदा समय में 35 है जो किसी भी अन्य एशियाई देश से बेहतर है। माइक्रोवेव से लेकर फ्रास्ट-फ्री रेफ्रीजिरेटर तक की बिक्री के मामले में भारत विश्व के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में शामिल हो गया है।
लेहमन ब्रदर्स ने इस रिपोर्ट को तैयार करते वक्त देश की मौजूदा राजनीतिक-सामाजिक स्थिति का पूरा ख्याल रखा है। सुधार के मुद्दों पर यूपीए सरकार और वाम दलों के बीच जारी रस्सा-कस्सी की तरफ संकेत करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाना राजनीतिक तौर पर काफी चुनौतीपूर्ण है। इस एजेंसी के मुताबिक अगले आम चुनावों के बाद भारत में नए सिरे से आर्थिक सुधार कार्यक्रम लागू किया जाना चाहिए। लेहमन का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मंदी से भारत भी प्रभावित हो सकता है, लेकिन इस पर असर अन्य देशों के मुकाबले कम रहेगा। एजेंसी ने इस आशय का संकेत दिया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में आवश्यकता से ज्यादा तेजी भी संभव है।
लेहमन ब्रदर्स के मुताबिक 10 फीसदी या इससे ज्यादा की आर्थिक विकास दर प्राप्त करने के लिए सुधार के मोर्चे पर 10 प्रमुख कदम उठाने की आवश्यकता है। इसमें पहला है वित्तीय क्षेत्र में सुधार, जबकि दूसरे कदम का वास्ता घाटे पर पूर्ण नियंत्रण से है। इसके बाद एफडीआई नीति को और उदार बनाने पर जोर दिया गया है। इसी तरह ढांचागत क्षेत्र पर ध्यान देते हुए नौकरशाही को नियंत्रित करना भी बेहद जरूरी है। बिजली आपूर्ति में सुधार और निजीकरण को बढ़ावा का नंबर इसके बाद आता है। श्रम, शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में व्यापक सुधार भी आवश्यक हैं क्योंकि ये तेज आर्थिक विकास दर के फायदों का विस्तार करेंगे। शहरीकरण के लिए विशेष प्रबंधन भी महत्वपूर्ण है। लेहमन ब्रदर्स ने अपने अंतिम सुझाव में भारत से कहा है कि वह अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को नया आयाम प्रदान करे।

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