Saturday, 20 October 2007

रुपया मजबूत देख भाग न जाएं फॉरन इनवेस्टर

नई दिल्ली : एक तरफ डॉलर हर रोज कमजोर होता जा रहा है तो दूसरी तरफ रुपये का वजन लगातार बढ़ता ही जा रहा है। रुपया जो कभी कमजोर हुआ करता था, अब ग्रीन डॉलर को रोजाना चित कर रहा है। लेकिन हमारे अर्थशास्त्री और इकनॉमिक प्लानर्स रुपये के बढ़ते वजन से थोड़ा परेशान भी हैं।

दरअसल वे नहीं चाहते कि डॉलर इतना पिटे कि हमारे एक्सपोर्टर्स के आंसू निकल जाए। बेशक वे मानते हैं कि बड़ा रुपया ही इंडिया की असली इकनॉमिक ग्रोथ का बयान करता है। मगर वे यह भी मानते हैं कि रुपया इतना भी मजबूत न हो कि इसका नेगेटिव रियेक्शन शुरू हो जाए। इसलिए अब इस पर गहन चिंतन हो रहा है।

सूत्रों के अनुसार इस चिंतन का जिम्मा दिया जा रहा है कि इकनॉमिक अडवाइजरी काउंसिल के प्रमुख और आरबीआई के पूर्व गवर्नर डॉ. चक्रवर्ती रंगराजन को। हालांकि पिछले सप्ताह हुई आरबीआई और वित्त मंत्रालय की बैठक में यह तय हुआ था कि अगर डॉलर के मुकाबले रुपया 39 के स्तर से नीचे आता है तब ही कुछ कार्रवाई करने पर विचार किया जाएगा। अब लगता है कि सरकार इस मसले पर ज्यादा रिस्क लेने के मूड में नहीं है।

शेयर बाजार में पार्टिसिपेटरी नोट (पीएन) पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिशों के बाद फॉरन इन्वेस्टर्स ने जिस तरह से रिएक्ट किया, उससे सरकार को झटका लगा है। सरकार को आशंका है कि रुपये के और ज्यादा मजबूत होने पर अगर उसने कोई कदम उठाया तो फॉरन इनवेस्टर फिर कोई नेगेटिव रियेक्शन दे सकते हैं। इसलिए अभी से इस मसले पर गहन चिंतन कर कुछ कदम उठाने की शुरुआत कर दी गई है।

सूत्रों के अनुसार बाजार विशेषज्ञों ने सरकार को रुपये की मजबूती को लेकर सचेत किया है। उनका कहना है कि अगर रुपया 39 के स्तर से नीचे आ गया तो फिर यह 35 या 36 पर ही आकर ठहरेगा। तब कार्रवाई करना न केवल मुश्किल होगा बल्कि उसको लेकर फॉरन इनवेस्टर नाराज हो सकते हैं। वे इनवेस्टमेंट फ्लो को कम भी कर सकते हैं।

यही कारण है कि डॉ. रंगराजन से कहा गया है कि वे डॉलर के मुकाबले रुपये के तर्कसंगत स्तर के बारे में चिंतन करें। बाजार का आकलन करें और सुझाव दें कि किस स्तर पर क्या कदम उठाना बेहतर होगा। आरबीआई के गवर्नर रह चुके डॉ. रंगराजन, फिलहाल आरबीआई के गवर्नर रेड्डी के संपर्क में हैं। उनसे अगली क्रेडिट पॉलिसी में रुपये की तेजी और बाजार में डॉलर के फ्लो के बीच तालमेल बिठाने के लिए सुझाव मांगें जा रहे है।

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