न्यू यॉर्क : भारत अब विकास के इंजन को बदलने की तैयारी में है। आईटी और टेलिकॉम के बाद अब विकास के लिए वित्तीय सेवाओं का दामन पकड़ने की बारी है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने यहां आईसीआईसीआई सिक्युरिटीज के निवेशक सम्मेलन में कहा कि हमारा वित्तीय सेवाओं को भारत के विकास का अगला इंजन बनाने का इरादा है। उन्होंने कहा कि इकॉनमी अब ज्यादा खुली है और व्यापार भी काफी बढ़ा है।
वित्त मंत्री ने संकेत किया कि भारत अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवाओं का खरीदार है। भारत के लिए इन सेवाओं का प्रदाता बनने के अवसर मौजूद हैं। उन्होंने हाल की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि इन सेवाओं की कीमत 13 अरब डॉलर आंकी गई है और 2015 तक इसके 48 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।
सरकार द्वारा गठित एक समिति ने हाल ही में अपनी सिफारिशें सौंपी हैं जिसमें मुंबई को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाने की सिफारिश की गई है। चिदंबरम ने कहा कि इसके मद्देनजर हमारा इरादा मुंबई को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय केंद्र बनाने का है। उन्होंने बताया कि सिफारिशों पर आम सहमति बनाने की कवायद शुरू कर दी गई है।
उनके मुताबिक, भारतीय इकॉनमी के संकेत सकारात्मक हैं। विकास को गति प्रदान करने वाले वजहों में घरेलू खपत, निवेश में बढ़ोतरी, रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी और लेबर और पूंजी की उत्पादकता में बढ़ोतरी शामिल हैं।
No comments:
Post a Comment