Tuesday 23 October, 2007

अफ्रीकी बाजार में पैठ बनाएगी भारतीय कंपनियां

जोहांसबर्ग: नए बाजारों की खोज में जुटी भारत की इंजीनियरिंग कंपनियों की निगाह दक्षिण अफ्रीकी व लैटिन अमेरिकी बाजार पर है। इसी इरादे के साथ वाणिज्य राज्यमंत्री अश्विनी कुमार के नेतृत्व में सोमवार को 171 छोटे या मझोले उद्यमियों ने दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहांसबर्ग में अपनी कुशलता का प्रदर्शन किया। इन कंपनियों ने यहां इंजीनियरिंग उत्पादों के 50 स्थायी स्टाल भी स्थापित कर दिए हैं।

वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद ने उद्यमियों को नए बाजार की संभावनाएं तलाशने का मौका मुहैया कराया है। इसके तहत जोहांसबर्ग के ईईपीसी कार्यालय में एक स्थायी प्रदर्शनी लगाई गई है। शिकागो के बाद यह दूसरा मौका है जब भारतीय निर्यातकों को किसी देश में अपने सामान की प्रदर्शनी लगाने का अवसर मिला है। यहां 50 उद्यमियों ने अपना स्थायी स्टाल लगाया है। ये सभी कंपनियां छोटे ये बड़े स्तर पर अपने सामान का निर्यात करती हैं।

मंगलवार को भारत से आई 171 कंपनियों के 350 प्रतिनिधियों की उपस्थिति में अश्विनी कुमार इंडिया इंजीनियरिग प्रदर्शनी का भी उद्घाटन करेंगे। दरअसल दक्षिण अफ्रीका ने मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी का आयोजन किया है। इसमें अफ्रीकी तथा लैटिन अमेरिकी देशों की रुचि को देखते हुए ईईपीसी ने भी इंडी-2007 का मेगा आयोजन किया है। भारत सरकार करीब आधा दर्जन देशों के साथ एमओयू पर भी हस्ताक्षर भी करने की तैयारी में है।

अश्विनी कुमार ने पूरी कवायद की हकीकत और अहमियत को बेबाकी से बयां किया। उन्होंने कहा कि भारत की विकास दर में छोटे इंजीनियरिंग उद्योगों का बड़ा योगदान है। उन्हें मजबूत करके ही देश की अर्थव्यवस्था की मदद की जा सकती है। चीन की आक्रामक बाजार नीति से भयभीत न होने की सलाह देते हुए उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारतीय उद्यमी अपनी गुणवत्ता से चीन के उत्पादों का मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम हैं।

दक्षिण अफ्रीका में सामाजिक कार्यो के लिए चीन की ओर से बड़ा बजट रखा जाना भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के लिए परेशानी का कारण है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने इसे कबूला। वैसे, हाल के दिनों में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के दो दौरों तथा सरकार के रुख से उत्साह भी बना हुआ है।

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