नई दिल्ली : सस्ती जमीन, कम इंटरेस्ट रेट पर लोन और अच्छा-खासा प्रॉफिट मार्जिन। भारतीय बिल्डरों को अमेरिकी रीयल एस्टेट बिजनेस में उतरने का इससे अच्छा मौका भला कब मिलेगा। भारतीय रीयल एस्टेट कंपनियां अब अमेरिका में रेजिडेंशल प्रोजेक्ट्स तैयार करने जा रही हैं।
सबप्राइम संकट ने अमेरिकी हाउसिंग सेक्टर की हालत पतली कर दी है। दाम गिर रहे हैं और बाजार में खरीदार कम हैं। रीयल एस्टेट में नए प्रोजेक्ट बनने कम हो गए हैं। इंडियन बिल्डर इसी अवसर को कैश करना चाहते हैं। यही कारण है कि उन्होंने अमेरिका में अपनी कंपनियां खोलनी शुरू कर दी हैं। इसकी शुरुआत की है कुलकर्णी बिल्डर ने, जिसने अमेरिका में अपनी सब्सिडिअरी कंपनी डेलेवेयर खोली है।
कंपनी के चेयरमैन डी. एस. कुलकर्णी का कहना है कि अमेरिका में रीयल एस्टेट सेक्टर की जो हालत है, वह किसी से छिपी नहीं है। हम वहां रेजिडेंशल कॉम्प्लेक्स बनाएंगे। कारोबार का श्रीगणेश करेंगे अमेरिका में बसे भारतीयों के लिए रेजिडेंशल कॉम्प्लेक्स बनाकर। कंपनी ने न्यू जर्सी में 18 एकड़ जमीन खरीद ली है। पहले प्रोजेक्ट में 80 करोड़ रुपये का इन्वेस्टमेंट किया जाएगा।
कुलकर्णी के अनुसार सबप्राइम संकट के कारण अमेरिका में रीयल एस्टेट में प्रॉफिट मार्जिन बढ़ गया है, क्योंकि जमीन सस्ती हो गई है। हालांकि अमेरिका में महंगाई बढ़ने से कंस्ट्रक्शन की कीमत बढ़ गई है, मगर इससे प्रॉफिट मार्जिन पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। एक वर्ग फुट जमीन की कीमत 10 डॉलर है, जबकि कंस्ट्रक्शन के बाद उसकी कीमत 250 डॉलर हो जाती है। अमेरिका में सबसे अच्छी बात यह है कि वहां पर कानून-व्यवस्था बहुत बेहतर है। एक बार प्रोजेक्ट पास हो गया तो उसको पूरा करने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आती। कुलकर्णी का मानना है कि भारतीय बिल्डरों के लिए अमेरिका में कारोबार करने का यह बेहतरीन मौका है। सस्ती कीमतों पर जमीन खरीदकर वे अपना कारोबार बढ़ा सकते हैं।
इधर एमएसएक्स, विपुल, इरोस, अंसल जैसी रीयल एस्टेट कंपनियों ने भी अमेरिका जाकर कारोबार करने की योजना पर काम करना शुरू कर दिया है। एमएसएक्स के संस्थापक व एमडी एम. एस. अग्रवाल कहते हैं कि अमेरिका में सबप्राइम संकट अभी काफी दिनों तक चलने की संभावना है। भारत में डिमांड से अधिक रेजिडेंशल प्रोजेक्ट बन गए हैं, कीमतें गिरनी शुरू हो गई हैं। अगर इस वक्त अमेरिका में कारोबार करना मुनाफे का सौदा है तो उस तरफ जाने में क्या बुराई है? कई भारतीय कंपनियां प्लानिंग कर रही हैं और जल्द ही अमेरिका का रुख कर सकती हैं।
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