नई दिल्ली: आने वाले दिनों में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में व्यापक निवेश होने की आशा है। इसके जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन भी संभव हो सकता है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार इस उद्योग के 9 से 12 फीसदी की सालाना विकास दर से आगे बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
उद्योग चैंबर फिक्की और केपीएमजी के संयुक्त अध्ययन के मुताबिक वर्ष 2010 तक फलों और सब्जियों के उत्पादन की वृद्धि दर दो फीसदी से बढ़कर 10 फीसदी के स्तर पर पहुंचने की आशा है। इसके बाद वर्ष 2025 तक इस उद्योग की विकास दर 25 फीसदी पर पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। इसी के साथ इनका मूल्यवर्धन भी 35 फीसदी के स्तर पर बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। अगर इसी गति से उद्योग की विकास दर जारी रही तो वर्ष 2015 तक इसमें लगभग 2.7 अरब यूरो का निवेश संभव हो सकता है।
सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के आकार को तीन गुना बढ़ाने का फैसला किया है। इस लिहाज से यह अध्ययन रिपोर्ट काफी महत्वपूर्ण है। रिपोर्ट के अनुसार ठेका कृषि यानी कांटै्रक्ट फार्रि्मग के बलबूते इस उद्योग के विकास की संभावनाएं बढ़ी है। इसके चलते कैप्टिव सप्लाई को भी बढ़ावा मिला है। बड़ी-बड़ी कंपनियों ने किसानों तक सीधी पहुंच बनाई है।
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