Wednesday, 24 October 2007

हरियाणा और दिल्ली की वित्तीय सेहत अच्छी

नई दिल्ली : वित्तीय हालत की बात हो तो हरियाणा, दिल्ली और उड़ीसा के देश में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले राज्य हैं। जबकि बिहार, झारखंड और केरल को राजकोषीय और राजस्व दोनों ही घाटों में कटौती करने की जरूरत है। इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम की स्टडी से यह बात सामने आई है।

स्टडी के मुताबिक 2006 - 07 के दौरान हरियाणा का राजकोषीय घाटा सबसे कम रहा। यह 0 . 6 फीसदी था। हालांकि इससे पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इसमें 0 . 3 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई। दिल्ली राजकोषीय घाटे के मामले में 0 . 7 फीसदी के आंकड़े के साथ दूसरे नंबर पर रही। उड़ीसा ने वित्त वर्ष 06 - 07 के दौरान 1 . 1 प्रतिशत का राजकोषीय घाटा कमाया, जो वित्त वर्ष 05 - 06 से 0 . 4 प्रतिशत अधिक है। स्टडी में कहा गया कि गुजरात का राजकोषीय घाटा 2 . 5 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ का 2 . 6 प्रतिशत, तमिलनाडु का 2 . 7 प्रतिशत और कर्नाटक का 2 . 8 प्रतिशत रहा।

एसोचैम की ईको पल्स स्टडी में खुलासा किया गया है कि लगातार ऊंचे राजकोषीय और राजस्व घाटे की वजह से बिहार, झारखंड और केरल में वित्तीय स्थिरता को लेकर चिंता पैदा हो गई है। स्टडी के मुताबिक राज्यों की कुल प्राप्तियों और व्यय में अंतर पिछले 2 साल के दौरान बढ़ा है। एसोचैम की यह स्टडी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), वित्त मंत्रालय और राज्यों के बजट दस्तावेजों पर आधारित है।

स्टडी के मुताबिक वित्त वर्ष 2006 - 07 में बिहार का राजकोषीय घाटा 10 . 4 फीसदी रहा। 2005 - 06 में यह 6 . 1 फीसदी था। झारखंड का राजकोषीय घाटा भी 10 फीसदी के ऊपर रहा।

सभी राज्यों का सकल राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2006 - 07 के दौरान जीडीपी का 2 . 6 फीसदी रहा। यह इससे एक साल पहले 2 . 4 फीसदी था।

एसोचैम के प्रेजिडेंट वेणुगोपाल धूत ने बताया - कुछ राज्यों में जबर्दस्त वित्तीय अंतर की कई वजहें हैं। इनमें कर्ज के ब्याज के रूप में ज्यादा भुगतान करना, पेंशन के मद में ज्यादा पैसों को दिया जाना, बेतरतीब प्रशासनिक खर्च, टैक्स कलेक्शन में बढ़ोतरी न होना आदि प्रमुख है।

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