मुंबई: रिजर्व बैंक ने ऊंची ब्याज दरों व कई शर्तो वाली विशेष जमा योजनाएं (स्पेशल डिपाजिट स्कीम) तत्काल बंद करने को कहा है। बैंक ज्यादा डिपाजिट जुटाने के लिए सामान्य ब्याज दरों से ज्यादा ब्याज वाली योजनाओं के जरिए धन बटोरते हैं। इन योजनाओं में लॉक इन पीरियड के अलावा कई निषेधात्मक शर्ते होती हैं। बैंक 300 दिनों से लेकर पांच साल तक की लाक इन अवधि वाली योजनाएं चलाती हैं, जिन पर 6 से 12 माह की लाक इन अवधि होती है। अगर कोई लाक इन अवधि से पहले ही धन निकालता है तो उसे ब्याज की पूरी राशि से हाथ धोना पड़ता है। कई बैंक डिपाजिट का आंशिक भुगतान भी उपलब्ध कराते हैं।
रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि ब्याज दरों के मामले में उन्हें निर्देशों का पूरा पालन करना चाहिए। कोई भी बैंक समान तारीख और समान राशि के डिपाजिट की दरों में भेदभाव नहीं कर सकता।
क्या होगा:
बैंकों को रिजर्व बैंक के निर्देशानुसार जल्दी ही स्पेशल डिपाजिट स्कीम बंद करनी होंगी। बैंक सामान्य जमा योजनाओं और स्पेशल योजनाओं में अंतर नहीं कर सकते हैं। सीनियर सिटीजन और 15 लाख रुपए या उससे ज्यादा के डिपाजिट को इससे बाहर रखा जाएगा।
किस पर एतराज:1. रिजर्व बैंक को सबसे ज्यादा एतराज ऐसी योजनाओं में समय पूर्व निकासी पर ब्याज जब्त करने को लेकर है। यह रिजर्व बैंक के नियमों व निर्देशों के प्रतिकूल है।
2. कई बैंक, जिनमें सरकारी लेंडर भी शामिल हैं, ऐसी डिपाजिट योजनाएं चला रहे हैं। इन योजनाओं के लाक इन पीरियड भी अलग-अलग हैं। समय से पहले व्रिडाल की स्थिति में बैंक संग्रहीत ब्याज भी जब्त कर लेते हैं।
3. स्पेशल स्कीम में दी गई ब्याज दरें सामान्य डिपाजिट स्कीमों की तरह नहीं होती हैं।
4. बैंक ऐसी योजनाएं 300 दिनों से लेकर पांच साल तक के लिए चला रहे हैं। जिनमें कई निषेधात्मक शर्ते लगाई जाती हैं।
सेबी ने टर्म डिपाजिट की अवधि बढ़ाई
मुंबई.सेबी ने म्यूचुअल फंडों के टर्म डिपाजिट की अवधि बढ़ाकर 182 दिन कर दी है। पहले सेबी ने 91 दिन की अवधि तय कर रखी थी। म्यूचुअल फंडों को इस अवधि में तय करना होता था कि फंडों द्वारा जुटाया धन निवेश के उद्देश्यों के अनुसार किया जाना चाहिए।
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