Tuesday 23 October, 2007

सीधे रास्ते आने वाली पूंजी पर रोक नहीं: सेबी

मुंबई: भारतीय बाजार में निवेश को लेकर विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के जोश को बनाए रखने की कवायद अब और तेज कर दी गई है। बाजार नियामक सेबी ने सोमवार को 16 विदेशी संस्थागत निवेशकों के आवेदनों को हरी झंडी दिखा दी। इसके साथ ही सेबी ने यह स्पष्ट किया कि पार्टिसिपेटरी नोट्स पर अंकुश लगाने की पहल सीधे रास्ते से आने वाली पूंजी के प्रवाह को रोकने के लिए कतई नहीं की गई है।

प्रमुख एफआईआई के साथ वीडियो कांफ्रेंस में सेबी के अध्यक्ष एम दामोदरन ने कहा कि पीएन पर अंकुश लगाने के प्रस्ताव पर बड़ी संख्या में घरेलू और विदेशी निवेशकों ने अपनी राय जाहिर की है। इससे नई कंपनियों के पंजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा, 'हमने सोमवार को 16 एफआईआई प्रस्तावों को मंजूरी दी। 17 अक्टूबर तक प्राप्त किए गए आवेदनों की मंजूरी दी जा चुकी है।'

दामोदरन ने यह भी स्पष्ट किया कि एफआईआई को उनके कुल परिसंपत्ति पोर्टफोलियो में पीएन के जरिए हिस्सेदारी को 40 प्रतिशत तक सीमित करने के लिए दी गई 18 माह की समयसीमा को आगे बढ़ाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। नौ शीर्ष एफआईआई ने इस आशय के प्रस्ताव पर इंटरेक्टिव वीडियो कांफ्रेंस में हिस्सा लिया। इसमें गेाल्डमैन सैश और मेरिल लिंच प्रमुख हैं।

दामोदरन ने यह भी कहा कि प्रोपराइटरी सब-अकाएंट को नियामक के पास निश्चित तौर पर पंजीकृत कराया जाना चाहिए। 25 अक्टूबर के बाद एफआईआई पंजीकरण के बारे में संशोधित नियम लाए जाएंगे।

पिछले सप्ताह सेबी द्वारा पीएन संबंधी प्रस्ताव पेश करने के अगले ही दिन शेयर बाजार एक समय 1700 अंक से भी ज्यादा लुढ़क गया था और उसी दिन वह करीब 1400 अंक सुधर गया था। यह सुधार तब आया जब वित्त मंत्री पी चिदंबरम और एम दामोदरन ने स्पष्ट किया कि पीएन पर प्रतिबंध लगाने का कोई इरादा नहीं है। इसके पीछे मुख्य मकसद केवल अज्ञात निकायों की ओर से पूंजी के प्रवाह को रोकना है।

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