नई दिल्ली : इस साल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के मामले में भारत को चीन के बाद दूसरा सबसे बेहतरीन डेस्टिनेशन बताया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के व्यापार एवं विकास संगठन की वर्ल्ड इनवेस्टमेंट रिपोर्ट में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, पसंदीदा इनवेस्टमेंट लोकेशन के मामले में चीन और भारत के बाद क्रमश: अमेरिका, रूसी फेडरेशन और ब्राजील का स्थान है।
रिपोर्ट के मुताबिक, एफडीआई परफॉमेर्ंस इंडेक्स में भी भारत की स्थिति सुधरने का दावा किया गया है। 2005 में जहां भारत की रैंकिंग 121 थी, वहीं 2006 में यह सुधरकर 113 हो गई। रिपोर्ट में एफडीआई के मामले में भारत और चीन को प्रमुख उभरता देश बताया गया है। साथ ही दोनों देश एशिया की नई औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं मसलन हांगकांग, सिंगापुर, ताइवान आदि के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर रहे हैं।
इस बाबत हुए सर्वे में 52 फीसदी विदेशी निवेशकों ने निवेश के लिए चीन को अपनी पसंदीदा लोकेशन बताया, जबकि 41 फीसदी ने भारत को। 36 फीसदी ने अमेरिका को और 22 फीसदी ने रूस को अपनी पसंदीदा लोकेशन बताया। 12 फीसदी ब्राजील के पक्ष में खड़े दिखे।
रिपोर्ट के मुताबिक, भारत और चीन की वजह से दक्षिण एशिया, पूर्व और दक्षिण पूर्व एशिया में आर्थिक विकास की दर काफी तेज रहने की उम्मीद है।
2005-06 के दौरान एफडीआई निवेश के मामले में भारत चौथे स्थान पर रहा था। पहले स्थान पर चीन था, जबकि दूसरे और तीसरे स्थान पर हांगकांग और सिंगापुर थे। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में एफडीआई निवेश में 17 अरब डॉलर की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, 2004 से 2006 के बीच एशिया क्षेत्र में ग्लोबल एफडीआई फ्लो का हिस्सा 10 प्रतिशत से बढ़कर 25 प्रतिशत हो गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन से हो रहे प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वहां की सरकारी कंपनियों का वर्चस्व है, जो वहां की सरकार की नीति के तहत अपना विस्तार कर रही हैं जबकि भारत से हो रहा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश टाटा समूह जैसे निजी स्वामित्व वाले कंपनी घरानों के नेतृत्व में उभर रहा है। रिपोर्ट में 2007 के शुरू में टाटा उद्योग की ओर से 11 अरब डॉलर के निवेश से ब्रिटेन की कंपनी कोरस इस्पात कंपनी के अधिग्रहण का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है, जिससे नई कंपनी विश्व की पांचवी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी बन गई है।
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